अमीबा क्या है कहाँ पाया जाता है
अमीबा क्या है
amiba kya hai हेलो दोस्तों कैसे है आप। आज हम बात करेंगे अमीबा के बारे में अमीबा क्या है और कहाँ पाया जाता है। यह नदी, तालाब, गंदे पानी, मीठे पानी की झीलों, पोखरों, इत्यदि में पाया जाता है। अमीबा का कोई आकर नहीं होता है यह अपना आकर बदलता रहता है इसके अंदर एक केन्द्रक भी पाया जाता है। इसका शरीर आंतर रस से बना होता है। अमीबा अमोइबे एक ग्रीक शब्द से लिया गया है जिसका अर्थ परिवर्तन है। अमीबा का साइंटिफिक नाम अमोएबा है जिसे अमीबा भी कहते है
अमीबा में चलन प्रक्रिया
अमीबा में चलन की प्रक्रिया बड़ी अजीब ढंग से होती है अमीबा में चलन उसके नकली पैर यानि कूटपादों द्वारा होता है। जब यह चलता है तो इसके कूटपाद चलन की दिशा में आगे के तरफ बढ़ता है जिसके बाद इसके शरीर में उपस्थित तरल (जिससे उसका शरीर आना हुआ होता है) उसके कूटपादों में एकत्रित होने लगता है। यह प्रक्रिया बार बार दोहराने पर यह आगे की तरफ गति करने लगता है।
अमीबा का सुरक्षा कवच
अमीबा में एक खास बात होती है यह प्रतिकूल मौसम आने पर अपनी अन्नधानी और संकुचन धानी का त्याग करने लगता है और उसकी जगह एक कठोर पुट्ठी का आवरण अपने चारो तरफ बनाने लगता है जिसकी वजह से यह शर्दी और गर्मी में बचा रहता है पानी सुख जाने पर भी इस पुट्ठी के अंदर का अमीबा जीवित रहता है
अमीबा में पोषण
फागोसाइटोसिस एक प्रणाली है जो अमीबा में पोषण की प्रक्रिया को पूरा करती है। इसका भोजन सभी तरह के कार्बनिक कण शैवाल, जीवाणु इत्यादि होते है। यह अपने कूटपादों द्वारा एक घेरा बनाकर अपने भोजन को पकड़ता है। कूटपादों के द्वारा भोजन को घेरने के बाद एक खाद्य रिक्तिका बन जाती है और भोजन उसमे आ जाता है। फिर धीरे धीरे खाद्य रिक्तिका भरने लगती है और भोजन अमीबा के अंदर आ जाता है। एमाइलेज, ट्रिप्सिन, पेटिसिन एक एंजाइम होते है जो अमीबा में भोजन पचाने का काम करते है। पचा हुआ भोजन प्रोटोप्लाज़्मा में बदल जाता है।
अमीबा में प्रजनन कैसे होता है
अमीबा में जब प्रजनन होता है तो उस समय अमीबा गोल आकर ले लेता है उसके बाद अमीबा में जो केन्द्रक होता है वो 2 भागो में बट जाता है उसके तत्पस्चात जीवरस जो अमीबा का बचा हुआ भाग होता है वो भी दो भागो में बाँट जाता है इस प्रकार एक अमीबा से 2 अमीबा हो जाते है प्रजनन की इस क्रिया को पूरा होने में लगभग 1 घंटा या उससे भी कम समय लगता है
अमीबा में उत्सर्जन
अमीबा में कोई निश्चित उत्सर्जन (पचने के बाद वेस्ट भोजन को बहार निकलना) का कोई अंग नहीं होता है। अमीबा अपनी शरीर के किसी भी जगह से उत्सर्जन कर सकता है
अमीबा का वर्गीकरण
संघ – प्रोटोजोआ
उपसंघ – सार्कोमेस्टिगोफोरा
वर्ग – राईजोपोडा
वंश – अमीबा
गण – लोबोसा
जाति – प्रोटियस
अमीबा के बारे में रोचक जानकारियाँ
- अमीबा बहुत ही छोटे (सूक्ष्म) जीव है।
- अमीबा में पोषण फागोसाइटोसिस के माध्यम द्वारा होता है
- अमीबा में अपाच्य भोजन को शरीर से बहार निकलने के लिए कोई खास अंग नहीं होता है यह अपने शरीर में कहीं से भी अपाच्य भोजन का श्राव करता है।
- 6 प्रकार के अमीबा मनुष्य की आंत में रह सकते है। ये आँतो में छेद कर अंदर घुस जाते है जिसकी वजह से दस्त की समस्या हो जाती है।
- अमीबा की खोज सन 1757 में जर्मन के एक वनस्पतिशास्त्री जोहान रोसेल वॉन रोसेनहोफ ने की थी।
- अमीबा में चलन प्रक्रिया कूटपादों के द्वारा होती है।
- अमीबा की कुछ प्रजातियां लगभग 5 मिलीमीटर तक भी बढ़ जाती है जैसे पेलोमाइक्स पाल्स्ट्रिस।
- अमीबा खारे पानी में भी पाए जाते है।
- साँस लेने और उत्सर्जन करने की प्रक्रिया अमीबा के बहरी तल पर सभी जगह पर होती है।
- अमीबा अपने शरीर में भोजन की मात्रा अधिक होने पर उसे ग्लाइकोजन, पैरामाइलोन, और लिपिड्स के रूप में इकट्ठी करके रख लेता है।
- अमीबा कभी कभी इंसान के यकृत तक भी पहुंच जाते है
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