सबसे महंगे खून वाला जीव

sabse mehnge khoon wala jeev

सबसे महंगे खून वाला जीव

हेलो दोस्तों कैसे हो आप। में उम्मीद करता हु के इस कोरोना काल में आप सुरक्षित होंगे। दोस्तों आज हम बात करेंगे हॉर्स सू क्रैब के बारे में। यह समुन्द्र में पाई जाने वाली केकड़े की एक दुर्लभ प्रजाति है। इस प्रजाति में चार तरह के केकड़े पाए जाते है। यह ज्यादातर अटलांटिक, हिन्द, प्रशांत महासागर में पाया जाता है। दोस्तों एक ख़ास बात जो शायद ही आपको पता हो इस क्रैब का खून सबसे महंगा है। जी हाँ दोस्तों sabse mehnge khoon wala jeev इसका खून दवाइयों की टेस्टिंग करने में किया जाता है और कोरोना की दवाई में भी इसका इस्तेमाल किया जा रहा है। तो आइये जानते है इस विचित्र केकड़े के बारे में सबसे महंगा खून वाले जीव के बारे में।  

सबसे महंगे खून वाला जीव

वर्गीकरण

जगत            :        जंतु

संघ              :        आर्थ्रोपोडा

उपसंघ         :        केलीसेराटा

वर्ग               :        मेरोस्टोमाटा 

गण              :        ज़िफ़ोसुरा

कुल              :        लिम्युलिडाए 

हॉर्स शू क्रैब का विवरण 

दोस्तों इस केकड़े का नाम है हॉर्स शू क्रैब है। यह केकड़े की एक दुर्लभ प्रजाति है। इस केकड़े का शरीर ऊपर से कछुए की तरह ढाका हुआ होता है और इसके पास एक पूँछ भी होती है। इस प्रजाति में चार तरह के केकड़े पाए जाते है इन प्रजातियो पर अब खतरा मंडरा  रहा है। वैज्ञानिको के अनुसार यह केकड़ा पृथ्वी पर 45 करोड़ साल से भी पहले से मौजूद है। इस केकड़े का खून नीले रंग का होता है। इसके खून को दवाइयों के लिए इस्तेमाल किया जाता है। दोस्तों आपको हैरानी होगी यह जानकर के इस केकड़े का एक लीटर खून 11 लाख तक की कीमत का बिकता है। जी हाँ sabse mehnge khoon wala jeev है ये।  

हॉर्स शू क्रैब का इतिहास

दोस्तों हॉर्स शू केकड़े का इतिहास डायनासोर से भी पुराना है। यह लगभग 45 करोड़ साल पहले से ही इस धरती पर मौजूद है। इस केकड़े की सबसे छोटी प्रजाति की लम्बाई लगभग 30 सेंटीमीटर तक होती है। और सबसे बड़े केकड़े की लम्बाई लगभग 31 इंच के अस्स पास होती है। इनका वजन प्राय 4 किलोग्राम के आस पास होता है। यह अधिकांश समुन्द्र के किनारे या काम गहरे पानी में रहते है।

हॉर्स शू क्रैब के बारे में कुछ रोचक जानकारियाँ  

  • इस केकड़े का खून नीले रंग का होता है। इसके खून को दवाइयों के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
  • वैज्ञानिको के अनुसार यह केकड़ा पृथ्वी पर 45 करोड़ साल से भी पहले से मौजूद है। 
  • इस क्रैब के पास दो आंखे होती है जिनमे से लगभग 1000 ometidiiya पाई जाती है। 
  • हॉर्स शू क्रैब अपने शरीर की कुछ हिस्से जैसे खोये हुए पैर, पूँछ को पुनः विकसित कर सकता है। 
  • इस केकड़े में बुक गिल्स होते है जो इन्हे साँस लेने में मदद करते है। 
  • मादा क्रैब मेल क्रैब की अपेक्षा बड़ी होती है जो मेल की बॉडी का लगभग 30% अधिक होता है। 
  • इस केकड़े की सबसे छोटी प्रजाति की लम्बाई लगभग 30 सेंटीमीटर तक होती है। और सबसे बड़े केकड़े की लम्बाई लगभग 31 इंच के आस पास होती है।
  • इनका वजन प्राय 4 किलोग्राम के आस पास होता है। 
  • इस केकड़े का खून बहुत मंहगा होता है जिसके कारण इस पकड़ा जाता है और इसका खून निकला जाता है। 
  • इसका  खून 11 लाख रूपए प्रति लीटर बिकता है। 
  • जब इस केकड़े में से खून निकला जाता है तब इसमें 30% खून ही छोड़ा जाता है बाकि 70% खून निकल लिया जाता है। 
  • इस खून निकलने ली प्रक्रिया में 10 से 12 प्रतिशत केकड़े मर जाते है। 
  • मादा केकड़ा एक बारे में 1000 की संख्या में लगभग 60000 या इसके दोगुने अंडे देती है। 
  • इनके खून का नीला होने का भी एक कारण है। इनके खून हेमोसायनिन में मौजूद तांबे के कारण नीला होता है। 
  • इनके खून का इस्तेमाल बैक्टीरिया एंडोटॉक्सिन का पता लगाने के लिए किया जाता है।
  • हॉर्स शू केकड़ा लगभग 4 दिन तक जमीन पर रह सकता है या यह कहे जब तक उसके गिल्स में नमी मौजूद है तब तक। 
  • इस क्रैब का खून दवाइयों की टेस्टिंग करने में किया जाता है और कोरोना की दवाई में भी इसका इस्तेमाल किया जा रहा है।
 

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