सैलामैंडर कौन है और क्या खाता है

sailamendar kya khata hai

सैलामैंडर कौन है

सैलामेंडर छिपकली की तरह दिखने वाला एक जीव है। इसका शरीर चिकना और उस पर पीले रंग के गोल टिकलियाँ सी बनी हुई होती है। इसकी कुछ प्रजातियां जलीय होती है जो अपना पूरा जीवन जल में बिताती है और कुछ स्थलीय तथा कुछ जल और स्थल दोनों में रहती है। पूरी तरह से स्थल पर रहने वाले ये जीव सफ़ेद रंग के होते है और इनके शरीर पर कोई धब्बा नहीं पाया जाता है। इनका शरीर पतला और चपटा होता है इनकी ज्यादातर सैलामेंडर के अगले पैर में चार उँगलियाँ और पिछले पैर में पाँच उँगलियाँ पाई जाती है। तो दोस्तों आइये जानते है विस्तार से सैलामैंडर कौन है और क्या खाता है। 

सैलामैंडर कौन है और क्या खाता है

सैलामेंडर का आकर और विशेषताएँ 

सैलामेंडर का आकर 1.1 इंच से लेकर 5.9  फीट तक होता है। 5.9  फीट तक के ये जीव चाइना में पाए जाते है वैसे सबसे ज्यादा पाए जाने वाले सैलामेंडर लगभग 4 इंच से लेकर 8 इंच तक होते है। जैसे जैसे सैलामेंडर बड़े होते है वह अपने शरीर से पुरानी त्वचा को उतर देते है जिस तरह साँप केंचुली उतरता है ठीक उसी प्रकार और यह प्रक्रिया चलती ही रहती है सैलामैंडर की कुछ प्रजातियों में फेफड़े नहीं होते है वह अपने गलफड़ो से साँस लेने का काम करते है। कुछ में फेफड़े और गलफड़े दोनों ही पाए जाते है। इनके ऊपरी और निचले जबड़े में छोटे दाँत पाए जाते है। सैलामेंडर  की त्वचा चिकनी होती है जो इसके शरीर को नम रखती है।

सैलामेंडर कहाँ पाया जाता है और क्या खाता है 

सैलामैंडर केवल होलारक्टिक और नियोट्रॉपिकल क्षेत्रों में पाए जाते हैं। यह छोटे छोटे जीव, कीट, लार्वा आदि को खाते है। इसके शरीर में भी सभी अंग पाए जाते है जैसे के मेंढक में पाए जाते है। जैसे heart, pituitary, liver, fat bodies, stomach, etc.

सैलामेंडर का वर्गीकरण

जगत         :       एनिमेलिआ
संघ            :       कोर्डेटा
वर्ग            :        एम्फीबिआ
गण            :       कौडाता

सैलामेंडर के बारे में कुछ रोचक जानकारियां

  • सैलामैंडर केवल होलारक्टिक और नियोट्रॉपिकल क्षेत्रों में पाए जाते हैं।
  • सैलामेंडर म्यूकस नाम के द्रव का उत्सर्जन करता है। जो इसे सूखे स्थानों में नम रखने का काम करता है।
  • जब यह जीव पानी में  रहता है तब म्यूकस इसके शरीर में नमक का संतुलन बनाये  रखता है।
  • सैलामेंडर भी छिपकली की तरह अपनी पूंछ और अपने हाथ को दोबारा से उगने की क्षमता होती है।
  • अधिक  जलीय प्रजाति के जीवो के जीभ में मांसपेशिया नहीं पाई जाती है।
  • यह सभी प्रकार के जीवो को खाते है। यह एक ही खाद्य पदार्थ तक ही सीमित नहीं रहते है।
  • सैलामेंडर की जीभ की स्पीड बहुत तेज होती है। एक स्थलीय सैलामेंडर आधे सेकंड से भी कम समय में अपनी जीभ से शिकार को पकड़ लेता है।
  • यह धीमी गति से चलने वाला जीव है।
  • इनके शरीर पर लगी चिकनाई ही इनको दुसमन के हमले से बचती है अगर कोई शिकारी शिकारी इस जीव को पकड़ लेता है तो वह इसके चिकने शरीर से निकलने वाली दुर्गन्ध ही इनको हमले से बचाती है।
  • यह खतरे का अहसास होते ही अपनी पूँछ को अपने शरीर से अलग कर दी है जिससे यह  शिकारी का ध्यान को भटका देता है और वहाँ से निकने में कामयाब हो जाता है।
  • नोफ्थाल्मस विरीडेसेन्स भी सैलामेंडर की एक अत्यधिक ज़हरीली होती है।अगर कोई जीव या साँप इसे निगल ले निगल ले तब भी यह उसके पेट में 30 मिनट तक जीवित रह सकता है।
  • छिपकलियों द्वार इनकी समानता का कारण सिम्प्लेसियोमॉर्फी है।
  • सैलामेंडर की लगभग 760 प्रजातियां पाई जाती है। और लगभग 70 प्रतिशत प्रजातियाँ उत्तरी अमेरिका में पाई जाती है।
  • नर के द्वारा पानी में जमा किये गए शुक्राणु को मादा अपने वेंट के द्वारा उठती है।

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